आग की भीख
धुँधली हुईं दिशाएँ, छाने लगा कुहासा, कुचली हुई शिखा से आने लगा धुआँ-सा। कोई मुझे…
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Read Moreवर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम, सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और…
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Read Moreबहुत दूर पर अट्टहास कर सागर हँसता है। दशन फेन के, अधर व्योम के। ऐसे…
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Read Moreयह कैसी चांदनी अम के मलिन तमिस्र गगन में कूक रही क्यों नियति व्यंग से…
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