विश्व-छवि
मैं तुझे रोकता हूँ पल-पल, तू और खिंचा-सा जाता है, मन, जिसे समझता तू सुन्दर,…
Read Moreमधु-यामिनी-अंचल-ओट में सोई थी बालिका-जूही उमंग-भरी; विधु-रंजित ओस-कणों से भरी थी बिछी वन-स्वप्न-सी दूब हरी;…
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