याचना
प्रियतम! कहूँ मैं और क्या? शतदल, मृदुल जीवन-कुसुम में प्रिय! सुरभि बनकर बसो। घन-तुल्य हृदयाकाश…
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Read Moreकंचन थाल सजा सौरभ से ओ फूलों की रानी! अलसाई-सी चली कहो, करने किसकी अगवानी?…
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