रास की मुरली
अभी तक कर पाई न सिंगार रास की मुरली उठी पुकार। गई सहसा किस रस…
Read Moreअभी तक कर पाई न सिंगार रास की मुरली उठी पुकार। गई सहसा किस रस…
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Read Moreमाथे में सेंदूर पर छोटी दो बिंदी चमचम-सी, पपनी पर आँसू की बूँदें मोती-सी, शबनम-सी।…
Read Moreदाह के आकाश में पर खोल, कौन तुम बोली पिकी के बोल? १ दर्द में…
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Read Moreगीत, अगीत, कौन सुंदर है? गाकर गीत विरह की तटिनी वेगवती बहती जाती है, दिल…
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Read Moreअरी ओ रसवन्ती सुकुमार ! लिये क्रीड़ा-वंशी दिन-रात पलातक शिशु-सा मैं अनजान, कर्म के कोलाहल…
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