शेष गान
संगिनि, जी भर गा न सका मैं। गायन एक व्याज़ इस मन का, मूल ध्येय…
Read Moreजीर्णवय अम्बर-कपालिक शीर्ण, वेपथुमान पी रहा आहत दिवस का रक्त मद्य-समान। शिथिल, मद-विह्वल, प्रकंपित-वपु, हृदय…
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Read Moreगायक, गान, गेय से आगे मैं अगेय स्वन का श्रोता मन। सुनना श्रवण चाहते अब…
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