मगध-महिमा (पद्य-नाटिका)
(नेपथ्य के भीतर से इतिहास गाता है।) इतिहास के गीत १ कल्पने! धीरे-धीरे बोल! पग-पग…
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Read Moreदृश्य १ (नालन्दा का खँडहर गैरिक वसन पहने हुए कल्पना खँडहर के भग्न प्रचीरों की…
Read Moreभावों के आवेग प्रबल मचा रहे उर में हलचल। कहते, उर के बाँध तोड़ स्वर-स्त्रोत्तों…
Read Moreभावों के आवेग प्रबल मचा रहे उर में हलचल। कहते, उर के बाँध तोड़ स्वर-स्त्रोत्तों…
Read Moreसंसार पूजता जिन्हें तिलक, रोली, फूलों के हारों से , मैं उन्हें पूजता आया हूँ…
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Read Moreउसे भी देख, जो भीतर भरा अंगार है साथी। सियाही देखता है, देखता है तू…
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