निराशावादी
पर्वत पर, शायद, वृक्ष न कोई शेष बचा, धरती पर, शायद, शेष बची है नहीं…
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Read Moreलोगे कोई भगवान? टके में दो दूँगा। लोगे कोई भगवान? बड़ा अलबेला है। साधना-फकीरी नहीं,…
Read Moreफूँक दे जो प्राण में उत्तेजना, गुण न वह इस बाँसुरी की तान में; जो…
Read More१. प्रात जगाता शिशु-वसन्त को नव गुलाब दे-दे ताली। तितली बनी देव की कविता वन-वन…
Read Moreओ भारत की भूमि वन्दिनी! ओ जंजीरोंवाली! तेरी ही क्या कुक्षि फाड़ कर जन्मी थी…
Read Moreसन्ध्या की इस मलिन सेज पर गंगे! किस विषाद के संग, सिसक-सिसक कर सुला रही…
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