यह कैसी चांदनी अम के मलिन तमिर की इस गगन में,
यह कैसी चांदनी अम के मलिन तमिर की इस गगन में, कूक रही क्यों नियति…
Read Moreयह कैसी चांदनी अम के मलिन तमिर की इस गगन में, कूक रही क्यों नियति…
Read Moreयह कैसी चांदनी अम के मलिन तमिर की इस गगन में, कूक रही क्यों नियति…
Read Moreलोहे के पेड़ हरे होंगे, तू गान प्रेम का गाता चल, नम होगी यह मिट्टी…
Read Moreलोहे के पेड़ हरे होंगे, तू गान प्रेम का गाता चल, नम होगी यह मिट्टी…
Read Moreसदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है; दो राह,समय…
Read Moreसदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है; दो राह,समय…
Read Moreजो कुछ था देय, दिया तुमने, सब लेकर भी हम हाथ पसारे हुए खड़े हैं…
Read Moreजो कुछ था देय, दिया तुमने, सब लेकर भी हम हाथ पसारे हुए खड़े हैं…
Read Moreपर्वत पर, शायद, वृक्ष न कोई शेष बचा, धरती पर, शायद, शेष बची है नहीं…
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