अवकाश वाली सभ्यता
मैं रात के अँधेरे में सिताओं की ओर देखता हूँ जिन की रोशनी भविष्य की…
Read Moreमैं रात के अँधेरे में सिताओं की ओर देखता हूँ जिन की रोशनी भविष्य की…
Read Moreमैं रात के अँधेरे में सिताओं की ओर देखता हूँ जिन की रोशनी भविष्य की…
Read More(1) आजादी तो मिल गई, मगर, यह गौरव कहाँ जुगाएगा ? मरभुखे ! इसे घबराहट…
Read More(1) आजादी तो मिल गई, मगर, यह गौरव कहाँ जुगाएगा ? मरभुखे ! इसे घबराहट…
Read Moreलोहे के पेड़ हरे होंगे, तू गान प्रेम का गाता चल, नम होगी यह मिट्टी…
Read Moreलोहे के पेड़ हरे होंगे, तू गान प्रेम का गाता चल, नम होगी यह मिट्टी…
Read More== हिमालय == मेरे नगपति! मेरे विशाल! साकार, दिव्य, गौरव विराट्, पौरुष के पुन्जीभूत ज्वाल!…
Read More== हिमालय == मेरे नगपति! मेरे विशाल! साकार, दिव्य, गौरव विराट्, पौरुष के पुन्जीभूत ज्वाल!…
Read Moreपक्षी और बादल ये भगवान के डाकिये हैं, जो एक महादेश से दूसरे महादेश को…
Read More