Ramdhari Singh Dinkar प्रत्येक नया दिन नयी नाव ले आता है, shayar February 26, 2020 0Comment प्रत्येक नया दिन नयी नाव ले आता है, लेकिन, समुद है वही, सिन्धु का तीर… Read More
Ramdhari Singh Dinkar आँस shayar February 26, 2020 0Comment खिड़की के शीशे पर कोई बूँद पड़ी है; अर्द्धरात्रि में यह आँसू किसका टपका है?… Read More
Ramdhari Singh Dinkar अन्वेषी shayar February 26, 2020 0Comment रोटी को निकले हो? तो कुछ और चलो तुम। प्रेम चाहते हो? तो मंजिल बहुत… Read More
Ramdhari Singh Dinkar गिरगिट shayar February 26, 2020 0Comment पथ की जलती हुई भूमि पर मैंने देखा ध्यानमग्न बूढ़े गिरगिट को (गिरगिट यानी एक… Read More
Ramdhari Singh Dinkar कवि shayar February 26, 2020 0Comment (१) इतना भी है बहुत, जियो केवल कवि होकर; कवि होकर जीना यानी सब भार… Read More
Ramdhari Singh Dinkar नाटक shayar February 26, 2020 0Comment समय तुरत क्यों हो जाता उड्डीन, प्रेमी का अभिनय जब हम करते हैं? और मंच… Read More
Ramdhari Singh Dinkar विकास shayar February 26, 2020 0Comment भ्रष्ट देवता कहलाने में कौन सुयश है? क्या कलंक है उन्नत शाखामृग होने में? Read More
Ramdhari Singh Dinkar यती shayar February 26, 2020 0Comment जहाँ-जहाँ है फूल, वहाँ क्या साँप है? जहाँ-जहाँ है रूप, वहाँ क्या पाप है? शूलों… Read More
Ramdhari Singh Dinkar अनुभव shayar February 26, 2020 0Comment (१) सबसे बड़ा विश्वविद्यालय अनुभव है, पर, इसको देनी पड़ती है फीस बड़ी। (२) अनुभवी… Read More
Ramdhari Singh Dinkar भूल shayar February 26, 2020 0Comment भूल जो करता नहीं कोई, असल में, देवता है, वह न कोई काम करता है।… Read More