झील
मत छुओ इस झील को। कंकड़ी मारो नहीं, पत्तियाँ डारो नहीं, फूल मत बोरो। और…
Read Moreवैराग्य छोड़ बाँहों की विभा सम्भालो, चट्टानों की छाती से दूध निकालो, है रुकी जहाँ…
Read Moreसदियों की ठण्डी-बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है; दो राह,…
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