ख़मे मेहराबे हरम भी ख़मे अबू तो नही
ख़मे मेहराबे हरम भी ख़मे अबू तो नहीं कहीं काबे में भी काशी के सनम…
Read Moreख़मे मेहराबे हरम भी ख़मे अबू तो नहीं कहीं काबे में भी काशी के सनम…
Read Moreबुझा है दिल भरी महफ़िल में रौशनी देकर मरूँगा भी तो हज़ारों को ज़िन्दगी देकर…
Read Moreइक रात में सौ बार जला और बुझा हूँ मुफ़लिस का दिया हूँ मगर आँधी…
Read Moreबुतख़ाना नया है न ख़ुदाख़ाना नया है जज़्बा है अक़ीदत का जो रोज़ाना नया है…
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