कब फ़राग़त थी ग़म-ए-सुब्ह-ओ-मसा से मुझ को
कब फ़राग़त थी ग़म-ए-सुब्ह-ओ-मसा से मुझ को रोज़ ओ शब काम रहा आह-ओ-बुका से मुझ…
Read Moreकब फ़राग़त थी ग़म-ए-सुब्ह-ओ-मसा से मुझ को रोज़ ओ शब काम रहा आह-ओ-बुका से मुझ…
Read Moreग़म-दीदा हूँ, अलम-ज़दा हूँ, सोगवार हूँ इक चलता फिरता आरज़ूओं का मज़ार हूँ कहते हैं…
Read Moreकौन कहता है कि मर जाने से कुछ हासिल नहीं ज़िंदगी उस की है मर…
Read Moreकिसी दर्द-मंद की हूँ सदा किसी दिल-जले की पुकार हूँ जो बिगड़ गया वो नसीब…
Read Moreतबीयत को मरगूब अब कुछ नहीं सबब क्या बताऊं सबब कुछ नहीं कभी एक तूफ़ान…
Read Moreमौत इलाज-ए-ग़म तो है मौत का आना सहल नहीं जान से जाना सहल सही जान…
Read Moreसुन लें जो मस्ते- मए-ऐश हैं एवानों में ज़िन्दगी करवटें लेती हैं सियह ख़ानों में…
Read Moreसुनें हंस हंस के जिन को सुनने वाले और होते हैं मिरी जां और होते…
Read Moreमा’नी-तराज़ियाँ हैं रंगीं-बयानियाँ हैं दुनिया में जितने मुँह हैं उतनी कहानियाँ हैं मा’नी-तराज़ियाँ या रंगीं-बयानियाँ…
Read Moreख़ुशा जलवाए नौबहारे-वतन ख़ुशा मंज़रे लाला-ज़ारे-वतन बयां क्या हो शाने-बहारे-वतन है गुल-पोश हर रहगुज़ारे-वतन बहारे-जिनां…
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