कभी उठता है दर्दे-दिल, कभी गश हम पे तारी है
कभी उठता है दर्दे-दिल, कभी गश हम पे तारी है कभी कुछ तो कभी कुछ…
Read Moreकभी उठता है दर्दे-दिल, कभी गश हम पे तारी है कभी कुछ तो कभी कुछ…
Read Moreमहब्बत भी हुआ करती है दिल भी दिल से मिलता है मगर फिर आदमी को…
Read Moreग़मे-हिज्र की इंतिहा हो गई है तबीयत सुकूं-आश्ना हो गई है फुगां बन के उट्ठी…
Read Moreजवानी में तबीअत ला-उबाली होती जाती है तरक़्क़ी पर मिरी शोरीदा-हाली होती जाती है शब-ए-ग़म…
Read Moreजब बहार आई तो जंजीर-बपा रक्खा है अक़रबा ने मुझे दीवाना बना रक्खा है हम-सुख़न…
Read Moreलब पर तबस्सुम आंख लजाई हुई सी है ये बात क्या बने कि बनाई हुई…
Read Moreज़िंदगी ख़ाक में भी थी तिरे दीवाने से अब न उट्ठेगा बगूला कोई वीराने से।…
Read Moreइल्तिफ़ात-ए-आम है वज्ह-ए-परेशानी मुझे किस क़दर महँगी पड़ी है उन की अर्ज़ानी मुझे बहर-ए-हस्ती है…
Read Moreदिन जुदाई का दिया वस्ल की शब के बदले लेने थे ऐ फ़लक-ए-पीर ये कब…
Read Moreजोबन टपक रहा है गुलो-बर्गो-बार से गुलशन में ये बहार है किस की बहार से…
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