अलअमां ग़म के मारों की दुनिया
अलअमां ग़म के मारों की दुनिया चलते फिरते मज़ारों की दुनिया दाग़ रौशन हैं दिन…
Read Moreअलअमां ग़म के मारों की दुनिया चलते फिरते मज़ारों की दुनिया दाग़ रौशन हैं दिन…
Read Moreनैरंगे-चरख़े-शोबदागर कुछ न पूछिए क्या हो रहा है शाम-ओ-सहर कुछ न पूछिए ग़म का हुजूम…
Read Moreमिरी फ़रयाद मम्नूने-असर मुश्किल से होती है मिरी जानिब इनायत की नज़र मुश्किल से होती…
Read Moreनहीं सबाते- जहां में अब एहतिमाल मुझे रक़ीब देने लगे मुजदाए-विसाल मुझे तिरे विसाल में…
Read Moreकैसी हवाए-ग़म चमने-दिल में चल गई सुब्हे-निशात शामे-अलम में बदल गई उफ़ रे मआले-हसरते-तामीरे-आशियाँ जिस…
Read Moreहिज्र की भी रात बसर हो गई हो तो न सकती थी सहर हो गई…
Read Moreतिरे चलते हुए फ़िक़रे हैं या फौलाद के टुकड़े इन्हीं टुकड़ों से होते हैं दिले-नाशाद…
Read Moreहमारे दरपए-ईज़ा है चर्खे-बदश्आर अब भी की हम हैं पामाले-गर्दिशे-लैलो-निहार अब भी नमूना दश्ते-वहशत का…
Read Moreइलाही किस क़ियामत के मिरे नाले रसा निकले तहे-तहतुस्सरा पहुंचे सरे-फ़ौक़स्समा निकले बवक़्ते-गिरया पासे-इजतिराबे-क़ल्ब लाज़िम…
Read Moreहो तो हो सूरते-क़रार, ऐ दिले-बेक़रारी क्या वादे तो अब भी हैं मगर, वादों का…
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