जी पर भी हम ने जब्र किया इख़्तियार तक
जी पर भी हम ने जब्र किया इख़्तियार तक जीते रहे अख़ीर दम-ए-इंतिज़ार तक किस…
Read Moreजी पर भी हम ने जब्र किया इख़्तियार तक जीते रहे अख़ीर दम-ए-इंतिज़ार तक किस…
Read Moreसरमायाए-सुकूं दिले-उम्मीदवार का इक आसरा है वा’दाए-बे-ऐतबार का बोसा! फिर उस निगारे-सरापा वक़ार का दीवानापन…
Read Moreतुमको भी है गिला फ़लके-दूँ-शआर का आख़िर पड़ा न सब्र किसी बे-क़रार का मुमकिन न…
Read Moreकैसा पुर-आशोब है दौरे-क़मर आज कल दुश्मने-जाने-बशर क्यों है बशर आजकल चलती हैं अपने यहां…
Read Moreगाह इधर देखना गाह उधर देखना आह! न लेकिन उन्हें भर के नज़र देखना आहे-शररबार…
Read Moreबस अब मैं रात दिन की यर अज़ीयत सह नहीं सकता कि सब कुछ देखता…
Read Moreपूछें वो काश हाल दिल-ए-बे-क़रार का हम भी कहें कि शुक्र है पर्वरदिगार का लाज़िम…
Read Moreबेगाना-वार हम से यगाना बदल गया कैसी चली हवा कि ज़माना बदल गया आँखें भी…
Read Moreसब्र मुश्किल था मोहब्बत का असर होने तक जान ठहरी न दिल-ए-दोस्त में घर होने…
Read Moreदिया रश्क आशुफ़्ता-हालों ने मारा तिरे हुस्न पर मरने वालों ने मारा। कभी दिल का…
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