अल्लाह अगर तौफ़ीक़ न दे इन्सान के बस का काम नही
अल्लाह अगर तौफ़ीक़ न दे इन्सान के बस का काम नहीं फ़ैज़ाने-मोहब्बत आम सही, इर्फ़ाने-मोहब्बत…
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Read Moreअगर न ज़ोहरा जबीनों के दरमियाँ गुज़रे तो फिर ये कैसे कटे ज़िन्दगी कहाँ गुज़रे…
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Read Moreअगर न ज़ोहरा जबीनों के दरमियाँ गुज़रे तो फिर ये कैसे कटे ज़िन्दगी कहाँ गुज़रे…
Read Moreअब तो यह भी नहीं रहा अहसास दर्द होता है या नहीं होता इश्क़ जब…
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