चाहे सो हमें कर तू गुनह-गार हैं तेरे
चाहे सो हमें कर तू गुनह-गार हैं तेरे तक़दीर थी अपनी कि गिरफ़्तार हैं तेरे…
Read Moreचाहे सो हमें कर तू गुनह-गार हैं तेरे तक़दीर थी अपनी कि गिरफ़्तार हैं तेरे…
Read Moreआता हूँ जब उस गली से सौ सौ ख़्वारी खींच कर फिर वहीं ले जाए…
Read Moreअब तुझ से फिरा ये दिल-ए-काम हमारा इस कूचे में कम ही रहेगा काम हमारा…
Read Moreआश्ना कब हो है ये ज़िक्र दिल-ए-शाद के साथ लब को निस्बत है मिर ज़मज़म-ए-दाद…
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