गुदाज़-ए-दिल से परवाना हुआ ख़ाक
गुदाज़-ए-दिल से परवाना हुआ ख़ाक जिया बे-सोज़ में तो क्या जिया ख़ाक किसी के ख़ून-ए-नाहक़…
Read Moreगुदाज़-ए-दिल से परवाना हुआ ख़ाक जिया बे-सोज़ में तो क्या जिया ख़ाक किसी के ख़ून-ए-नाहक़…
Read Moreमरता भला है ज़ब्त की ताक़त अगर न हो कितना ही दर्द-ए-दिल हो मगर चश्म-ए-तर…
Read Moreदर्द को रहने भी दे दिल में दवा हो जाएगी मौत आएगी तो ऐ हमदम…
Read Moreचर्चा हमारा इश्क़ ने क्यूँ जा-ब-जा किया दिल उस को दे दिया तो भला क्या…
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