अब तो कुछ और भी अँधेरा है
अब तो कुछ और भी अँधेरा है ये मिरी रात का सवेरा है रह-ज़नों से…
Read Moreअब तो कुछ और भी अँधेरा है ये मिरी रात का सवेरा है रह-ज़नों से…
Read Moreआ ही गया वो मुझ को लहद में उतारने ग़फ़लत ज़रा न की मिरे ग़फ़लत-शेआर…
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