जय-जय बिन्दु और ब्रजनंदन।
जय-जय बिन्दु और ब्रजनंदन। दोऊ वनवासी वन विरहत दोऊ जन अभिनंदन। दोऊ प्रकट होत अति…
Read Moreजय-जय बिन्दु और ब्रजनंदन। दोऊ वनवासी वन विरहत दोऊ जन अभिनंदन। दोऊ प्रकट होत अति…
Read Moreदृग तीर तेरे मोहन! जिस दिल को ढूँढते हैं। हम उन तीरों के तेरे विस्मिल…
Read Moreअगर घनश्याम का दिल आशिकों को दूर कर देता, तो था किसका दम घर-घर में,…
Read Moreमेरी और मोहन की बात मैं जानूँ या वो जाने, दिल की दुःख दर्द भरी…
Read Moreयूँ अगर आप मोहन मुकर जाएँगे, तो भला हमसे पापी किधर जाएँगे। जब तरंगे नहीं…
Read Moreयूँ अगर आप मोहन मुकर जाएँगे, तो भला हमसे पापी किधर जाएँगे। जब तरंगे नहीं…
Read Moreसदा श्याम-श्यामा पुकारा करेंगे। नवल रूप निशि दिन निहारा करेंगे। यमुना तट लता कुञ्ज ब्रज…
Read Moreजो श्याम पर फ़िदा हो, उस तन को ढूँढते हैं। घनश्याम का हो जिसमें, उस…
Read Moreयह तमन्ना है कि घनश्याम का शैदा बन जाऊँ। उनसे मिलने की खातिर न जाने…
Read Moreयूँ मधुर मुरली बजी घनश्याम की, धूम घर-घर में मची घनश्याम की। हो गया मुरली…
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