प्रभो अपने दरबार से अब न टालो।
प्रभो अपने दरबार से अब न टालो। गुलामी का इकरार मुझसे लिखा लो॥ दीनानाथ अनाथ…
Read Moreप्रभो अपने दरबार से अब न टालो। गुलामी का इकरार मुझसे लिखा लो॥ दीनानाथ अनाथ…
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Read Moreअजब है यह दुनिया बाजार, जीव जहाँ पर खरीदार हैं ईश्वर साहूकार। कर्म तराजू रैन…
Read Moreअजब है यह दुनिया बाजार, जीव जहाँ पर खरीदार हैं ईश्वर साहूकार। कर्म तराजू रैन…
Read Moreअजब है यह दुनिया बाजार, जीव जहाँ पर खरीदार हैं ईश्वर साहूकार। कर्म तराजू रैन…
Read Moreमैं घनश्याम का बबला हो रहा हूँ, कभी हँस रहा हूँ कभी रो रहा हूँ।…
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Read Moreमैं घनश्याम का बबला हो रहा हूँ, कभी हँस रहा हूँ कभी रो रहा हूँ।…
Read Moreअहो उमापति अधीन भक्त की व्यथा हरो। दयालु विश्वनाथ दीन हीन पर दया करो॥ तुम्हीं…
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