क्या जाग रही होगी तुम भी?
क्या जाग रही होगी तुम भी? निष्ठुर-सी आधी रात प्रिये! अपना यह व्यापक अंधकार, मेरे…
Read Moreक्या जाग रही होगी तुम भी? निष्ठुर-सी आधी रात प्रिये! अपना यह व्यापक अंधकार, मेरे…
Read Moreकुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें। जीवन-सरिता की लहर-लहर, मिटने को बनती यहाँ प्रिये…
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