नामांकन
सिंधुतट की बालुका पर जब लिखा मैने तुम्हारा नाम याद है, तुम हंस पड़ीं थीं,…
Read More(१) छिपा दिया है राजनीति ने बापू! तुमको, लोग समझते यही कि तुम चरखा-तकली हो।…
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Read Moreप्रेम के नैराश्य की कविता लिखो तो मार्क्स कहते हैं कि यह सब बुर्जुआपन है।…
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