हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियों
कहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियो। श्रवण खोलो¸ रूक सुनो¸ विकल यह नाद कहां से आता है।…
Read Moreकहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियो। श्रवण खोलो¸ रूक सुनो¸ विकल यह नाद कहां से आता है।…
Read Moreक्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल सबका लिया सहारा पर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसे कहो, कहाँ,…
Read Moreक्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल सबका लिया सहारा पर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसे कहो, कहाँ,…
Read Moreजला अस्थियाँ बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का…
Read Moreजला अस्थियाँ बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का…
Read Moreयह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर नहीं है थक कर बैठ गये क्या…
Read Moreबरसों बाद मिले तुम हमको आओ जरा बिचारें, आज क्या है कि देख कौम को…
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