लोहे के मर्द
पुरुष वीर बलवान, देश की शान, हमारे नौजवान घायल होकर आये हैं। कहते हैं, ये…
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Read Moreपर्वत पर, शायद, वृक्ष न कोई शेष बचा, धरती पर, शायद, शेष बची है नहीं…
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Read Moreरात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद, आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है!…
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Read Moreकहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियो। श्रवण खोलो¸ रूक सुनो¸ विकल यह नाद कहां से आता है।…
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