ख़िज़ाँ का जो गुलशन से पड़ जाए पाला
ख़िज़ाँ का जो गुलशन से पड़ जाए पाला तो सेहन-ए-चमन में न गुल हो न…
Read Moreख़िज़ाँ का जो गुलशन से पड़ जाए पाला तो सेहन-ए-चमन में न गुल हो न…
Read Moreहज़ारों इश्क़-ए-जुनूँ-ख़ेज़ के बने क़िस्से वरक़ हुए जो परेशाँ मिरे फ़साने के हैं ए‘तिबार से…
Read Moreहोते ही जवाँ हो गए पाबंद-ए-हिजाब और घूँघट का इज़ाफ़ा हुआ बाला-ए-नक़ाब और जब मैं…
Read Moreहक़ ओ नाहक़ जलाना हो किसी को तो जला देना कोई रोए तुम्हारे सामने तुम…
Read Moreहमें कहती है दुनिया ज़ख़्म-ए-दिल ज़ख्म-ए-जिगर वाले ज़रा तुम भी तो देखो हम को तुम…
Read Moreबसा-औक़ात आ जाते हैं दामन से गरेबाँ में बहुत देखे हैं ऐसे जोश-ए-अश्क चश्म-ए-गिर्यां में…
Read Moreअमानत मोहतसिब के घर शराब-ए-अर्ग़वाँ रख दी तो ये समझो कि बुनियाद-ए-ख़राबात-ए-मुग़ाँ रख दी कहूँ…
Read Moreकैसी-कैसी सूरतें ख़्वाबे-परीशाँ हो गईं? सामने आँखों के आईं और पिन्हाँ हो गईं॥ ज़ोर ही…
Read Moreनज़र हुस्न-आश्ना ठहरी वो ख़िलवत हो कि जलवत हो। जब आँखें बन्द कीं तसवीरे-जानाँ देख…
Read Moreबेक़रारी दिले-बीमार की अल्ला-अल्ला। फ़र्शेगुल पर भी न आना था, न आराम आया॥ जौरे-दरबाँ की…
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