कवित्त
स्वामी दयानन्द ने यों खेद ले विचार किया, वेद अधिकार यदि शूद्रन ना बतायेंगे। तब…
Read Moreपहले सुमरों सतगुर स्वामी, दीन्हा लौकिक आतम ज्ञान, ब्रह्म रूप चेतन घट-घट में, व्यापक सकल…
Read Moreतुम्हारी लन-तरानी के करिश्मे देखे भाले हैं चलो अब सामने आ जाओ हम भी आँख…
Read Moreनज़्ज़ारा जो होता है लब-ए-बाम तुम्हारा दुनिया में उछलता है बहुत नाम तुम्हारा दरबाँ है…
Read Moreना-काम हैं असर से दुआएँ दुआ से हम मजबूर हैं के लड़ नहीं सकते ख़ुदा…
Read Moreमुतमइन अपने यक़ीन पर अगर इंसाँ हो जाए सौ हिजाबों में जो पिंहाँ है नुमायाँ…
Read Moreजब तक अपने दिल में उन का ग़म रहा हसरतों का रात दिन मातम रहा…
Read Moreचाहिए इश्क़ में इस तरह फ़ना हो जाना जिस तरह आँख उठे महव-ए-अदा हो जाना…
Read Moreऐ दिल न सुन अफ़साना किसी शोख़ हसीं का ना-आक़ेबत-अँदेश रहेगा न कहीं का दुनिया…
Read Moreगुदाज़-ए-दिल से परवाना हुआ ख़ाक जिया बे-सोज़ में तो क्या जिया ख़ाक किसी के ख़ून-ए-नाहक़…
Read More