परवाना और जुगनू
परवाना परवाने की मंज़िल से बहुत दूर है जुगनू क्यों आतिशे-बेसूद से मग़रूर है जुगनू…
Read Moreपरवाना परवाने की मंज़िल से बहुत दूर है जुगनू क्यों आतिशे-बेसूद से मग़रूर है जुगनू…
Read Moreख़ुदा से हुस्न ने इक रोज़ ये सवाल किया जहाँ में क्यों ना मुझे तुने…
Read Moreमुमकिन है के तु जिसको समझता है बहाराँ औरों की निगाहों में वो मौसम हो…
Read Moreतेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूँ मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ सितम हो कि…
Read Moreतू अभी रहगुज़र में है क़ैद-ए-मकाम से गुज़र मिस्र-ओ-हिजाज़ से गुज़र, पारेस-ओ-शाम से गुज़र जिस…
Read Moreसितारों के आगे जहाँ और भी हैं अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं तही…
Read Moreसच कह दूँ ऐ बिरहमन गर तू बुरा न माने तेरे सनमकदों के बुत हो…
Read Moreनहीं मिन्नत-कश-ए-ताब-ए-शनीदन दास्ताँ मेरी ख़ामोशी गुफ़्तगू है, बेज़ुबानी है ज़बाँ मेरी ये दस्तूर-ए-ज़बाँ-बंदी है कैसी…
Read Moreमोहब्बत क जुनूँ बाक़ी नहीं है मुसलमानों में ख़ून बाक़ी नहीं है सफ़ें कज, दिल…
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