इक जाम-ए-बोसीदा हस्ती और रूह अज़ल से सौदाई।
इक जाम-ए-बोसीदा हस्ती और रूह अज़ल से सौदाई। यह तंग लिबास न यूँ चढ़ता ख़ुद…
Read Moreइक जाम-ए-बोसीदा हस्ती और रूह अज़ल से सौदाई। यह तंग लिबास न यूँ चढ़ता ख़ुद…
Read Moreक़फ़स से ठोकरें खाती नज़र जिस नख़्ल तक पहुँची। उसी पर लेके इक तिनका बिनाए-आशियाँ…
Read Moreअब मुझ को फ़ायदा हो दवा-ओ-दुआ से क्या? वो मुँह पे कह गए–“यह मर्ज़ लाइलाज…
Read Moreखुद चले आओ या बुला भेजो। रात अकेले बसर नहीं होती॥ हम ख़ुदाई में हो…
Read Moreतुम हो कि एक तर्ज़े-सितम पर नहीं क़रार। हम हैं कि पायेबन्द हरेक इम्तहाँ के…
Read Moreमुझ ग़मज़दा के पास से सब रो के उठे हैं। हाँ आप इक ऐसे हैं…
Read Moreजो मेरी सरगुज़िश्त सुनते हैं। सर को दो-दो पहर यह धुनते हैं॥ कै़द में माजरा-ए-तनहाई।…
Read Moreहिम्मते-कोताह से दिल तंगेज़िन्दाँ बन गया। वर्ना था घर से सिवा इस घर का हर…
Read Moreजादह-ओ-मंज़िल जहाँ दोनों हैं एक। उस जगह से मेरा सेहरा शुरू॥ वक़्त थोडा़ और यह…
Read Moreयह मेरी तौबा नतीजा है बुखले-साक़ी का। ज़रा-सी पी के कोई मुँह ख़राब क्या करता?…
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