मलार
सखी री श्याम घटा मोहि भावे। छाय रहत नभ मे चारो दिश श्याम रूप दरसावे।…
Read Moreचुम्बक युगल बीच मानो लोह फसिगो सूखी वढ़ी लकड़ी विन पातन सरोज को आयोरी नागरी…
Read Moreसब लोक में उचारुंगा। मेरो प्रान तेरो हाथ तेरो प्रान मेरो हाथ राखि यह वीस…
Read Moreजो तरूता को फल दियो छाया करि विस्तार। करत कुठाराघात तेहि इन्धन बेचन हार।। इन्धन…
Read Moreप्यारे आवि गयो मन मेरो। केसे रहिये कपटी जग मे स्वारथ पर बहुतेरो।। रहत धरम…
Read Moreअरे मन चंचलता तुम त्याग। भटकहु जनु तुम स्वान सदृष धरु कृष्ण भजन अनुराग।। कबहूं…
Read Moreमायामोहिनी के बस भांवरी भरत ताहि मुक्ति दै के भवर बनाया निज अंग है। नीचताइ…
Read Moreवरनि सकति नहिं लघुमति मेरी अद्भुत महिमा हर की। गुण विरोध सब रहत एक में…
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