फड़कत भुजदंड मार्तण्ड को छिपाय लिन्हों
फड़कत भुजदंड मार्तण्ड को छिपाय लिन्हों मारूत सुत हनुमान लीला विस्तारी हैं सोहत लंगूर करे…
Read Moreफड़कत भुजदंड मार्तण्ड को छिपाय लिन्हों मारूत सुत हनुमान लीला विस्तारी हैं सोहत लंगूर करे…
Read Moreभरोसा रही एक अंजनी कुँवर के। महावीर रणधीर जगत में भक्त सिरोमणि सियावर के। मनवांछित…
Read Moreहे कृष्ण बँसुरिया वाले तुम पर लाखों परनाम। मोर मुकुट मकरा कृत कुंडल चमके भानु…
Read Moreमोरा भोला अड़भंगी कहाँ विलमे। भंग धतूर कपूर चढ़इहों आन बसो तू हमारे दिल में।…
Read Moreसभी दिन होत न एक समान। एक दिन राम लखन दूल्हा बने जानत सकल जहान।…
Read Moreमोह माया जाल में फँस के भये न्यारे आप, सकुची रहे हो अब तू सूरत…
Read Moreतारिहों न राम जो पे राम की अदालत में भक्तिन वकील राखी बहस करवाऊँगा। देवोगे…
Read Moreअबहूँ जो दरसन न देवोगे बिहारी लाल, तो जाय रामा मातु पास बिनती सुनाऊँगा। तिन्हीं…
Read Moreमारा मारा कहि के (क) मारा मरा कहि के बाल्मीकि मुनी तरन भये, हम तो…
Read Moreतीन मुट्ठी चावल लेकर सुदामा को तारे, चंदन लगवाया तो कुब्जा को सुधारा था। बिदुर…
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