बढ़े चलो।
फूल बिछे हों या कांटे हों, राह न अपनी छोड़ो तुम। चाहे जो विपदायें आयें,…
Read Moreचाह कुछ सुख की नहीं, दुःख की नहीं परवाह है। प्रिय देश के कल्याण की,…
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Read Moreदीन दुखी जन की पुकार पर, जो नित कदम बढ़ाता है। भूखा देख साथियों को…
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Read Moreजिसने बात न की तारों से, जब रहती है दुनिया सोती। जिसने प्रातः काल न…
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Read Moreशक्ति राम की है मुझमें भी, घूमे जो निर्जन वन में। भक्ति श्याम की है…
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