झर पड़ता जीवन डाली से
झर पड़ता जीवन-डाली से मैं पतझड़ का-सा जीर्ण-पात!– केवल, केवल जग-कानन में लाने फिर से…
Read Moreझर पड़ता जीवन-डाली से मैं पतझड़ का-सा जीर्ण-पात!– केवल, केवल जग-कानन में लाने फिर से…
Read Moreउस फैली हरियाली में, कौन अकेली खेल रही मा! वह अपनी वय-बाली में? सजा हृदय…
Read Moreमा! मेरे जीवन की हार तेरा मंजुल हृदय-हार हो, अश्रु-कणों का यह उपहार; मेरे सफल-श्रमों…
Read Moreमैं एक शापित चिड़िया हु बन बन भटक रही हु अतीत मुझे याद आता है…
Read Moreसमय की सीमा है के एक दिन मुझे भी जाना होगा मगर बस इतना बता…
Read Moreआ, स्वतंत्र प्यारे स्वदेश आ, स्वागत करती हूँ तेरा। तुझे देखकर आज हो रहा, दूना…
Read Moreहे काले-काले बादल, ठहरो, तुम बरस न जाना। मेरी दुखिया आँखों से, देखो मत होड़…
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