काले बादल
सुनता हूँ, मैंने भी देखा, काले बादल में रहती चाँदी की रेखा! काले बादल जाति…
Read Moreआज से युगों का सगुण विगत सभ्यता का गुण, जन जन में, मन मन में…
Read Moreजननी जन्मभूमि प्रिय अपनी, जो स्वर्गादपि चिर गरीयसी! जिसका गौरव भाल हिमाचल स्वर्ण धरा हँसती…
Read Moreकितना रूप राग रंग कुसुमित जीवन उमंग! अर्ध्य सभ्य भी जग में मिलती है प्रति…
Read More‘तुम निर्बल हो, सबसे निर्बल!’ बोला माधव! ‘मैं निर्बल हूँ औ’ युग के निर्बल का…
Read More‘अच्छा, अच्छा,’ बोला श्रीधर हाथ जोड़ कर, हो मर्माहत, ‘तुम शिक्षित, मैं मूर्ख ही सही,…
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