हिन्द में प्रति वर्ष आती है नवमी राम की।
राम का सुमिरन करा जाती है नवमी राम की।
हर तरफ संसार के हर घर में हाहाकार था।
देश पर जब हो रहा दुष्टों का अत्याचार था।
भूमि सह सकती नही पापों का इतना भार था।
उसी समय भारत में ईश्वर ने लिया अवतार था।
यह सबक सबको सिखा जाती है नवमी राम की।
राम का सुमिरन करा जाती है नवमी राम की।
किस तरह माँ-बाप का सत्कार करना चाहिए।
किस तरह भाई से अपने प्यार करना चाहिए।
किस तरह दीनों के प्रति उपकार करना चाहिए।
किस तरह इस देश का उद्धार करना चाहिए।
राम के यह गुण बता जाती है नवमी राम की।
राम का सुमिरन करा जाती है नवमी राम की।
चक्रवर्ती राज्य पद को त्यागने में तीव्र त्याग।
भील गीध निषाद से मिलने का था शुद्धानुराग।
वन में चौदह वर्ष बस जाने में था उत्तम विराग।
बज रहा था जिस्म की रग-रग में सच्चाई का राग।
याद यह बात दिला जाती है नवमी राम की।
राम का सुमिरन करा जाती है नवमी राम की।
प्रेम करने में भरत दृग ‘बिन्दु’ का आदर्श लो।
शरण जाने में विभीषन भाव का उत्कर्ष लो।
दास बनने में सदा हनुमान का सा हर्ष लो।
मन्त्र यह प्रतिपक्ष लो प्रतिमास लो प्रतिवर्ष लो।
यह सन्देश सुभ सुना जाती है नवमी राम की।
राम का सुमिरन करा जाती है नवमी राम की।