हाँ मेरा मोहन मुरली वाला।
हाँ मेरा नन्द-नन्दन ब्रज ग्वाला।
जिसे गोद में नन्द खिलाएँ,
जिसे माँ यशोदा धमकाएँ,
जिसे ब्रज के ग्वाल चिढ़ाएँ,
जिसे गोपियाँ नाच नचाए,
हाँ यही जीवन प्रेम का प्याला।
हाँ मेरा मोहन मुरली वाला॥
जिसमे दीनों के दिल की चाह थी,
जिसमें बेकसी की परवाह थी,
जिसमें दुखी अधीनों की आह थी,
जिसमें भक्तों के भावों की राह थी,
हाँ जिसमें जीवन का उजाला।
हाँ मेरा मोहन मुरली वाला॥
जिसका प्रेम के वश में आ जाना,
जिसका जिस्म था प्रेम खज़ाना,
जिसका प्रेमियों में था ठिकाना,
जिसका प्रेमियों ने रस जाना,
हाँ जिसका पत्रम पथ है निराला।
हाँ मेरा मोहन मुरली वाला॥
जिसने गोपियों को तरसाया,
जिसने ब्रह्मा को था भरमाया,
जिसने नख पर गिरिराज उठाया,
जिसने गोरस ‘बिन्दु’ चुराया,
हाँ जिसने भक्तों को मौज से पाला।
हाँ मेरा मोहन मुरली वाला॥