हमेशा दीनों को छोड़कर भी लुभा जो करते हो चार बातें।
तुम्हें भी यह शौक है कि कोई सुनाये हमको हजार बातें।
हमारे चिढने में तुमको भगवन् जरुर कुछ लुफ्त आता होगा।
जो सुनते रहते हो हंस के हरदम कड़ी-कड़ी नागवार बातें।
ये सोचते हो जो बेकसों कि मुसीबतें जल्दी टाल देंगे।
कहा था किसने! कि पापियों के तारने का करार करते हो।
करार जब कर चुके हो तो फिर सुनोगे ख़ुद लाख बार बातें।
जुबाँ जब बेरुखी तुम्हारी बयां करने में थक चुकी है।
तो अश्रु के ‘बिन्दु’ बनके निकली ये दर्द की बेशुमार बातें।