लड़ गईं लड़ गईं हो अखियाँ लड़ गईं श्यामसुन्दर से।
बहुत जगत भरमायीं आँखें राम शरण तब आयीं आँखें॥
मुखमंडल पर अड़ गयीं हो अखियाँ लड़ गयीं श्यामसुन्दर से।
दुनिया की रंगत क्या देखें, साधारण सूरत श्याम देखें।
माधव छवि में गड़ गयीं हो अखियाँ लड़ गयीं हो श्यामसुन्दर से।
पीकर भक्ति नशे कि प्याली, छाय गईं अँखियों में लाली।
नेह पंच में बढ़ गयीं हो अँखियाँ लड़ गयीं श्यामसुन्दर से॥
पुतली पुष्प्कली बन आयी प्रेम ‘बिन्दु’ से खूब सिंचाई।
श्याम चरण पर चढ़ गईं हो अँखियाँ लड़ गईं श्यामसुन्दर से॥