लगन श्याम से यूं लगाया करें हम,
मजे दर्दे दिल के उठाया करें हम।
न ये उल्फ़त कम हो कभी जिन्दगी भर,
वो रूठा करें औ’ मनाया करें हम।
चुभें उनके तीरे नज़र जब जिगर में,
वो ढूंडा करें औ’ छिपाया करें हम।
ये अरमाने दिल की हजारों हीं शक्लें,
मिटाया करें वो बनाया करें हम।
उधर छेड़ कर मुस्कराया करें वो,
इधर ‘बिन्दु’ दृग से बहाया करें हम।