मोहन प्रेम बिना! मिलता नहीं, चाहे करले कोटि उपाय।
मिले न यमुना सरस्वती में मिले न गंगा नहाय॥
प्रेम सरोवर में जब डूबे प्रभु की झलक लखाय। मोहन…
मिले न पर्वत में मिले न निर्जन में मिले न वन भरमाय।
प्रेम बाग घूमे तो हरि को घट में ले पधराय॥ मोहन…
मिले न पंडित को ज्ञानी को मिले न ध्यान लगाय।
ढाई अक्षर प्रेम पढ़े जो नटवर नैन समाय॥ मोहन…
मिले न मंदिर में मूर्ति में मिले न अलख जगाय।
प्रेम ‘बिन्दु’ दृग से टपके तो तुरत प्रकट हो जाय॥ मोहन…