मेरा यार यशोदा-कुँवर हो चुका है।
वो दिल पी चुका है जिगर पी चुका है।
जगत कि सभी खूबियाँ मैंने छोड़ी।
जो दिल था इधर अब उधर हो चुका है।
ये सच जानिये उसकी बस इक नज़र पर।
जो कुछ पास था सब नज़र हो चुका है।
वो इस समस्त कि ख़ुद खबर ले रहा है।
लो उसके लिए बेखबर हो चुका है।
वही आँख का अश्रु बल ‘बिन्दु’ है यह।
ये उल्फ़त में लाखों बहर हो चुका है।

By shayar

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