भोले भक्तों के भावों को कैसे भगवन भुलायेंगे,
यदि नाम पतितपावन होगा तो पतितों को अपनाएंगे।
अहसान करेंगे क्या हम पर यदि हमको दास बनायेंगे;
वे दीनानाथ खाते हैं अपनी हीं लाज बचेंगे।
वह दिन भी होगा करुणाकर हम पर करुणा बरसाएंगे।
हम रोकर अर्ज सुनेंगे वो हँसकर पास बुलाएँगे।
पतवार नाम कि लेंगे हम भक्ति की वायु चलाएँगे।
इस युक्ती से काया नौका भवसागर पार लगेंगे।
दृग से जल-‘बिन्दु’ बहेंगे स्वामी के पाँव धुलाएँगे।

By shayar

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