पर प्रेम की इस दिल में लगी घात न होती।
तो सच है कि मोहन से मुलाक़ात न होती।
सरकार नजराने में देता मैं भला क्या।
कुछ पास गुनाहों की सौगात न होती।
क्या होते मुखातिब वो भला मेरी तरफ को।
आहों में कोशिश की जो करामात न होती।
बस दर्दे मुहब्बत का यह सारा तमाशा।
ये दिल में न होता तो कोई बात न होती।
दृग ‘बिन्दु’ बताते हैं कि घनश्याम है दिल में।
घनश्याम न होते तो ये बरसात न होती।

By shayar

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