जो श्याम पर फ़िदा हो,
उस तन को ढूँढते हैं।
घनश्याम का हो जिसमें,
उस मन को ढूँढते हैं।
जो बीत जाय प्रीतम-
की याद में विरह में।
प्राणों की प्राणगति में,
मोहन को ढूँढते हैं।
बँधता है जिसमें आकर,
वह वहम मुक्त बंधन।
उस प्रेम के अनोखे-
बन्धन को ढूँढते हैं।
आहों की जो घटा हो,
दामिनी–सी दर्द दिल की।
रस ‘बिन्दु’ बरसे जिससे,
उस धन को ढूँढते हैं।