जिस दर पै ठिकाना है वह दर कभी न ढूँढा।
जिस घर में पहुँचना है वह घर कभी न ढूँढा।
इस दिल से उन्हें ढूँढा जिनसे नहीं कुछ हासिल।
दिल जिसने दिया है तो दिलदार कभी न ढूँढा।
मंदिर में उसे ढूँढा मस्जिद में उसे ढूँढा।
एक बार दिल के अंदर मगर कभी न ढूँढा।
वो लाख बार ढूँढा पर अक्ल से हिकमत से।
आँखों में ‘बिन्दु’ आँसू भरकर कभी न ढूँढा।

By shayar

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