ओ लला नन्द के तू खबर ले हमारी भला।
ओ मुरारी तिहारी है न्यारी कला॥ ओ लला…
दोनों का स्वामी है अन्तर्यामी है।
आ जा आ जा ओ गुकुल बसइया मेरे॥
आ जा बाँकेबिहारी कन्हैया मेरे।
फिर तो एक बार नज़र मेहर की चला॥ ओ लला…
मदनमोहन मुझे आरत दुखी फरियाद करते हैं।
तेरे ही पै अपने दुःख ही सो फरियाद करते हैं॥
सगा कोई नहीं अपना न कोई अपना प्यारा है।
तेरे भक्तों को तेरे नाम का केवल सहारा है।
दोनों के दृग ‘बिन्दु’ का तुझ पर ही फैसला॥ ओ लला…