उम्मीद है कि उनके हम खाकसार होंगे।
जो प्रेमियों के प्यारे जीवन अधार होंगे॥
बसे तो उनके प्रेमी लाखों में हजार होंगे।
पर हमसे दीन दुर्बल बस दो ही चार होंगे।
गर बार-बार उनकी नजरों में खवर होंगे॥
फिर भी गुलाम उनके हम निसार होंगे॥
जीतेंगे हम जो उनसे जीवन निसार होंगे।
हारेंगे हम जो उनसे तो गले का हार होंगे।
उनके चरण कि नौका पाकर सवार होंगे।
तो ‘बिन्दु’ भी किसी दिन भवसिंधु पार होंगे॥