इधर लली है, उधर श्याम लला!! होली में।
देखो दोनों क्या रंग दिखाते हैं होली में।
नज़र चुटकियाँ दौड़ती हैं दोनों की अगर-
न जाने किसका हृदय किसने छुआ होली में।
ये ज़िद पड़ी कि पीछे हटाए कौन किसे,
मुकाबला ये दोनों का भला कैसा हो होली में।
कभी जुदा कभी एक है, दोनों का स्वरूप,
ये श्याम गौर की प्यारी है कला होली में।
किसी की कोई हार जीत जो देखी नहीं वहाँ,
तो ‘बिन्दु’ दोनों पै दिल हार चला होली में॥