काशी
उठ सकेगा न एहसाँ तुम्हारा हमको दुनिया से उठना गवारा दिल की क़िस्मत मंं था…
Read Moreहर तमन्ना सर-बज़ानू है अभी हर ऩजर मसरूफ़े-तजईने-चमन हर रविश अपनी महुब्बत के रविश क़ासिदे-अम्नो-अमाँ…
Read Moreआदरणीय महाराज और ऐ शेख़ मुकर्रम जय हिन्द, इजाज़त हो तो कुछ अर्ज़ करें हम…
Read Moreएक इक टुकड़े की ख़ातिर देंगे सौ-सौ जान हम पर तुझे टुकड़े न होने देंगे…
Read Moreमसर्रत रह गई दब कर हँसी के शोख़ रेले में मिरे दिल की कली मुझाँ…
Read Moreज़िन्दगी के नज़ारे तुम्हारे, नर्म रौ चाँद तारे तुम्हारे व़क्त के तेज़ धारे तुम्हारे, देश…
Read Moreआओ अमवाजे बहाराँ की तरह बल खाएँ कभी कौसर कभी गंगा की तरह लहराएँ मिल…
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